
मेरठ/हस्तिनापुर। स्वर्णकार भारती सेवा संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्वर्णकार महा समागम का भव्य आयोजन 14 से 16 सितंबर 2025 तक स्वर्णकारों की पुण्यभूमि हस्तिनापुर (जिला मेरठ) में किया गया। यह आयोजन महाराजा अजमीढ़ देव जी की पवित्र जन्मस्थली पर बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।
देशभर से 600 से अधिक लोग हुए शामिल
इस अवसर पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब सहित 16 प्रांतों से आए लगभग 600 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आयोजन के लिए श्रद्धा सदन धर्मशाला और संघवी रघुनाथ मल दोषी धर्मशाला में व्यवस्थाएं की गई थीं।
अतिथियों का सम्मान और सांस्कृतिक कार्यक्रम
14 सितंबर को कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ। मुख्य अतिथि सूचना एवं प्रसारण निदेशक श्री दिवाकर तथा सचिवालय निदेशक (लखनऊ) ने महाराजा अजमीढ़ देव जी, अंबरीश देव जी और संत शिरोमणि नरहरी दास जी की प्रतिमाओं का पूजन किया। विभिन्न प्रांतों से आए पदाधिकारियों को शील्ड और दुपट्टा पहनाकर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने पारंपरिक “सुआ नाच” प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।इस दौरान चांपा की श्रीमती भुवनेश्वरी सोनी ने विवाह योग्य युवकों को सोनार व्यवसाय छोड़ने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई, वहीं मुंगेली के अध्यक्ष रामकुमार सोनी ने गीत प्रस्तुत कर वातावरण को जीवंत कर दिया।
शोभायात्रा और पूजा-अर्चना
15 सितंबर को स्वर्णकारों के आदि पुरुष की शोभायात्रा बड़े धूमधाम से निकाली गई। हजारों श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ कौरव-पांडव मंदिर पहुंचे और प्रभाकर शास्त्री जी ने विधिवत पूजन कराया।
सामाजिक एकता और संगठन का विस्तार
16 सितंबर को संयोजक योगेंद्र कुमार ने बताया कि संगठन में आजीवन सदस्यता केवल एक रुपए शुल्क पर उपलब्ध है। इसी कड़ी में स्वर्णकार भारती सेवा संस्थान की कार्यप्रणाली और उद्देश्यों से प्रभावित होकर पाँच अन्य स्वर्णकार संगठनों ने इसमें विलय की घोषणा की। इस मौके पर वाराणसी, दिल्ली, रायगढ़ और अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का शाल एवं शील्ड देकर सम्मान किया गया।
विवाह महोत्सव की घोषणा
समापन अवसर पर यह घोषणा की गई कि स्वर्णकार भारती सेवा संस्थान आगामी 19 मार्च 2026 को वाराणसी में समाज का प्रथम विवाह उत्सव आयोजित करेगा। चेयरमैन श्री रवि सर्राफ ने सभी समाजबंधुओं को इसमें शामिल होने का आमंत्रण दिया। तीन दिवसीय यह महा समागम स्वर्णकार समाज की एकता, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक विकास का प्रतीक बनकर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।