दंतेवाड़ा में माओवादियों का आत्मसमर्पण: ‘लोन वर्राटू’ और ‘पूना मारगेम’ अभियान की बड़ी सफलता

दंतेवाड़ा। बस्तर संभाग में शांति और पुनर्वास की दिशा में चलाए जा रहे ‘पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन’ और ‘लोन वर्राटू’ (घर वापस आइए) अभियानों ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। दंतेवाड़ा जिले में आज 21 माओवादियों, जिनमें 13 पर कुल 25 लाख 50 हजार रुपये का इनाम था, ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया। यह आत्मसमर्पण नक्सल उन्मूलन और क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक सशक्त कदम है।
आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख माओवादी
केये उर्फ केशा लेकाम (8 लाख रुपये का इनाम): 2025 में परसबेड़ा जंगल में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में शामिल था।
सोमे उर्फ जमली कुहड़ाम (1 लाख रुपये का इनाम): 2023-24 में पीड़िया और 2025 में तोड़का जंगल में मुठभेड़ में शामिल थी। कुमारी हिड़मे उर्फ विज्जो ओयाम (1 लाख रुपये का इनाम): 2025 में कोरचोली जंगल में मुठभेड़ में शामिल थी। अन्य आत्मसमर्पित माओवादी नक्सली बंद सप्ताह के दौरान सड़क खोदने, पेड़ काटने, और नक्सली प्रचार सामग्री लगाने जैसी गतिविधियों में संलिप्त थे।
अभियान की सफलता
‘लोन वर्राटू’ और ‘पूना मारगेम’ अभियानों के तहत दंतेवाड़ा पुलिस और सीआरपीएफ ने माओवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी., पुलिस उप महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ के राकेश चौधरी, पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा गौरव राय, और अन्य अधिकारियों के मार्गदर्शन में यह अभियान प्रभावी ढंग से संचालित हो रहा है। माओवादियों की अमानवीय विचारधारा, शोषण, हिंसा और जंगल की कठिन जिंदगी से तंग आकर कई युवा अब समाज में लौट रहे हैं।
आत्मसमर्पण में योगदान
इस सफलता में डीआरजी/बस्तर फाइटर्स, विशेष आसूचना शाखा दंतेवाड़ा, आरएफटी, और सीआरपीएफ की 111वीं, 230वीं, और 231वीं वाहिनियों का विशेष योगदान रहा। आत्मसमर्पित माओवादियों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत 50 हजार रुपये की सहायता राशि, कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वरोजगार के अवसर, मनोवैज्ञानिक परामर्श, और कृषि भूमि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
‘लोन वर्राटू’ और ‘पूना मारगेम’ का प्रभाव
‘लोन वर्राटू’ अभियान अब तक 1,042 माओवादियों के आत्मसमर्पण का साक्षी बन चुका है, जिनमें 267 इनामी माओवादी शामिल हैं। पिछले 18 महीनों में दंतेवाड़ा में 99 इनामी माओवादियों सहित 390 से अधिक माओवादियों ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा को अपनाया है। ‘पूना मारगेम’ अभियान बस्तर के सात जिलों—सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, बस्तर, और कांकेर—में शांति और विकास को बढ़ावा दे रहा है।
सरकार की पुनर्वास नीति

आत्मसमर्पित माओवादियों को निम्नलिखित लाभ प्रदान किए जा रहे हैं,
कौशल विकास प्रशिक्षण: आत्मनिर्भरता के लिए प्रशिक्षण।
स्वरोजगार और आजीविका: रोजगार के अवसर।
मनोवैज्ञानिक परामर्श: सामाजिक पुनर्स्थापना के लिए सहायता।
सुरक्षा और सम्मान: गरिमापूर्ण जीवन का अवसर।
समाज से अपील
दंतेवाड़ा पुलिस और जिला प्रशासन ने माओवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है। ‘लोन वर्राटू’ और ‘पूना मारगेम’ अभियान यह संदेश देते हैं कि हर व्यक्ति को अपने परिवार, समाज, और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिल सकता है।
हिंसा का मार्ग छोड़िए, शांति और सम्मान की राह अपनाइए—अपने परिवार और बस्तर के लिए!


